दोहा

प्रकृतिं स्वामवष्टभ्य विसृजामि पुनः पुनः ।

भूतग्राममिमं कृत्स्त्रमवशं प्रकृतेर्वशात्  ।।

अर्थ : –  श्री कृष्ण जी  अर्जुन से कहते हैं कि संपूर्ण विराट जगत मेरे अधीन है । यह मेरी इच्छा से बारम्बार स्वतः प्रकट होता रहता है और मेरे ही इच्छा से अन्त में  विनष्ट होता है ।अर्थात कहने का तात्पर्य है कि जो भी संसार में अच्छा  या बुरा हो रहा है , वह मेरे ही इच्छा से होता है । उसका कर्ता भी मैं हूँ और विनाश करता भी मैं ही हूँ ।

Mrs. Sarla Sharma

Teacher

Shivom Vidypaeeth, Raipura

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